Monday, February 15, 2010

खुशफहमियाँ



बहुत सी खुश्फ़हमियाँ पाली थीं मैंने,
जब कभी भीड़ से गुजरी
स्वयँ को अलग पाया
मेरी विशिष्टताऒं ने जैसे मेरे चेहरे को
रंग दे दिया हो कुछ अलग ही
मेरे संघर्ष,
मेरी उपलब्धियाँ,
मेरी उदासियाँ,
मेरी हँसी,
जैसे कुछ अद्वितीय हो
जैसे मैं कुछ अधिक मनु्ष्य हूँ
शेष सब से,
अधिक संघर्षशील,
अधिक प्रसन्न,
अधिक गहरे उतरी हुई,
जैसे आकाशगंगा मे
चमकता एक तारा
इतरा उठे अपनी अनोखी दिपदिपाहट पर
जैसे कोई फूल उठे फूल
अपनी अतिरिक्त महक पर
घास का तिनका झूम उठे
अपने गहरे हरे रंग पर
ठीक वैसे..............
पर समय ने आँख खोल
दिखाया,
समाज ने
अनेको उदाहरणों से समझाया
कि अद्वितीय है हर व्यक्ति भीड़ मे,
विशिष्ट है अपनी सामान्यताओं मे
पैठा हुआ है गहरे
अपने मन और तन की अनुभूतियों मे,
समझ मे बड़ा है,
संघर्ष की दौड़ मे
सबके साथ बराबर ही खड़ा है,
प्रसन्न हूँ कि
मैं इन अद्वितीयों की भीड़ का एक हिस्सा हूँ
और हजारों कहानियों के बीच
एक मामूली सा किस्सा हूँ॥

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9 comments:

रंजन राजन said...

उम्दा लेखन, आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा। बधाई स्वीकार करें।

रानीविशाल said...

सुन्दर रचना...शुभकामनाए!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

M VERMA said...

व्यक्ति और व्यक्तित्व उंगलियो के निशान जैसे अलग - अलग होते हैं. हर एक अलग अस्मिता, अलग व्यक्तित्व रखता है अत: मैं आपकी खूबसूरत रचना के अंतिम पंक्तियों इस प्रकार स्वीकार कर पा रहा हूँ
और हजारों कहानियों के बीच
एक अलग् सा किस्सा हूँ॥

Udan Tashtari said...

प्रसन्न हूँ कि
मैं इन अद्वितीयों की भीड़ का एक हिस्सा हूँ
और हजारों कहानियों के बीच
एक मामूली सा किस्सा हूँ॥


-बहुत सही.उम्दा रचना!! वाह!

Sundeep Kumar tyagi said...

तारों के संग प्रचलित टिमटिमाहट के स्थान पर दिपदिपाहट का प्रयोग कर आपने अपनी सशक्त अद्वितीयता वाकई सिद्ध कर दी है।आपकी रचना प्रभावी न हो ऐसा तो कभी देखा है न सुना है।ब्लाग पर सक्रिय हो कर जो आप हम सबको प्रेरित करते हैं ऐसी भाव पूर्ण रचना के माध्यम से वह अनुकरणीय है:

क्या कहूँ.....! said...

आपकी रचनाओं में दर्शन की जो अभिव्यक्ति और सामाजिक चेतना रहती है - वह असामान्य है! इस कविता में विशिष्ट होते हुए भी अपने को सामान्य समझना और कहना भी - असामान्य है!
आपकी रचना सुनने और पढ़ने के बाद विचारों में हलचल, नव चेतना पैदा होती है।
सुमन कुमार घई

Pawan Kumar said...

पहली बार आपके ब्लॉग पर आया...... बहुत ही बढ़िया पोस्ट पढने को मिलीं.....अच्छे सृजन के लिए शुभकामनायें...

आशा बर्मन said...

सुन्दर कथ्य की उत्तम अभिव्यक्ति!
स्वयम को सामान्य स्वीकार कर एक अनोखी विशिष्टता प्रदान की है। तुम्हारी रचनाओं में सबसे
जुड़्ने की अनोखी क्षमता है। बधाई !

आशा बर्मन

Anonymous said...

bahut hi badiya ...

A Silent Silence : Teri yaadon ki khushboo..(तेरी यादों की खुशबू..)


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