Monday, February 15, 2010

खुशफहमियाँ



बहुत सी खुश्फ़हमियाँ पाली थीं मैंने,
जब कभी भीड़ से गुजरी
स्वयँ को अलग पाया
मेरी विशिष्टताऒं ने जैसे मेरे चेहरे को
रंग दे दिया हो कुछ अलग ही
मेरे संघर्ष,
मेरी उपलब्धियाँ,
मेरी उदासियाँ,
मेरी हँसी,
जैसे कुछ अद्वितीय हो
जैसे मैं कुछ अधिक मनु्ष्य हूँ
शेष सब से,
अधिक संघर्षशील,
अधिक प्रसन्न,
अधिक गहरे उतरी हुई,
जैसे आकाशगंगा मे
चमकता एक तारा
इतरा उठे अपनी अनोखी दिपदिपाहट पर
जैसे कोई फूल उठे फूल
अपनी अतिरिक्त महक पर
घास का तिनका झूम उठे
अपने गहरे हरे रंग पर
ठीक वैसे..............
पर समय ने आँख खोल
दिखाया,
समाज ने
अनेको उदाहरणों से समझाया
कि अद्वितीय है हर व्यक्ति भीड़ मे,
विशिष्ट है अपनी सामान्यताओं मे
पैठा हुआ है गहरे
अपने मन और तन की अनुभूतियों मे,
समझ मे बड़ा है,
संघर्ष की दौड़ मे
सबके साथ बराबर ही खड़ा है,
प्रसन्न हूँ कि
मैं इन अद्वितीयों की भीड़ का एक हिस्सा हूँ
और हजारों कहानियों के बीच
एक मामूली सा किस्सा हूँ॥

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Wednesday, February 10, 2010

ज़माने की हवा

हसीनॊं की बस्ती में कोई दिलदार क्या जाए
जमाने की हवाऒं मे, वो खाली चिड़चिड़ाते हैं।

जुगनू रोशनी के यूँ तो चमचमाते हैं
कोई तो राज है जो अँधेरे बढ़ते जाते हैं।

नया है दौर, नयी हर बात इसकी है
कातिल ही बँधाने ढ़ाढ़स, बस्ती में आते हैं।

खड़े हैं छत पे, बयालीसवीं मंज़िल के
वो अक्सर हाल मेरा लेने यूँ ही आते हैं।

आज वो लौट आये हैं, सुबह जो भूलकर भागे
पुरानी आदतों से पर भला क्या बाज आते हैं।

वहाँ गोली चली, यहाँ तूफ़ान में घर बार उजड़े हैं
यही पढ़-पढ़ अखबार से हम मुँह चुराते हैं।

हमारे चाहने, कहने से कुछ नही बदला
सपन आँखॊ में भर, मगर हम बढ़ते जाते हैं।

Friday, January 1, 2010

नव वर्ष आपको हो मंगल

हो कृपा भगवती की हर पल
नव छंद ,गीत नव रच जायें
पृष्ठों पर जीवन विहँसे
जीवन में कविता खिल जाये

लिखा हुआ सब हो मंगल....
नव वर्ष...

जीवन के छोटे, अनगिन दुख
सुख का रहस्य समझा जायें
सपने अपने पा जाने को
दृढ़ हाथ उठें, नभ छू जायें

कर्म- योग हमारा हो मंगल
नव वर्ष.................

नव पीढ़ी के कर्म- धर्म
मंत्र सत्य का पा जाये
पुरुषार्थ करें अपना सार्थक
युग को दिशा दिला जायें

आनंद,शाँति और हो मंगल
नव वर्ष आपको हो मंगल....

शुभकामनाओं सहित
शैलजा