तुम्हारे लिये: सपनों
के फूल
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मैं बताना चाहती हूँ
तुम्हें,
कि मुझ में
उग आयें हैं
इच्छाओं के पेड़,
जिनपर सपनों के फूल
खिलते हैं,
मैं सूँघ नहीं पाती
इन इच्छाओं को
जान नहीं पाती उनकी
गंध,
पर सपनों के फूल
चमकीले हैं बहुत,
मन के रास्ते पर रौशनी देते हैं दूर तक.....................
मैं दे देना चाहती
हूँ
अँजुरी भर कर ये फूल
तुम्हें.
तुम्हारे सपनों के लिये..
कल जब ये सूखॆं
तो बोना तुम इन्हें
अपने मन की ज़मीन पर,
उगाना,
इच्छाओं के पेड़
सपनों के फूल
अपनी रौशनी के लिये॥
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3 comments:
एक सौगात ...अगली पीढ़ी के लिए ...बहोत सुन्दर ..!!!
अच्छी कविता
इच्छाओं के पेड़ और सपनों के फूल. बहुत अच्छी बात कही. सुंदर प्यारी कविता.
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