Thursday, January 19, 2012


भोर हो गई
......................................................

भोर हो गई
पग-पग बढ़ते-चढ़ते पथ पर
भीड़ हो गई,
कूका कहीं क्या काला कव्वा?
शीत पवन में पंख जम गये
बानी-बोली सभी खो गई
भोर हो गई ॥


आँखॊं के आगे
बस टिक-टिक घड़ी नाचती
ऊपर से नीचे से ऊपर
चीज़ें लिये संभाले, वह भागती
चेहरे का व्याकरण
कार का शीशा देखेगा
और पेट की भूख
दफ्तर जाने पर देखी जायेगी
यही सोचते करते एक उम्र हो गई,
भोर हो गई।
सूरज का आना या जाना
बस टी.वी. से जाना,
जीवन की आशा पर बिखरे
सर्दी का यह नीम अँधेरा
जाना-पहचाना,
एक घनी बिल्डिंग की बस्ती
कोने वाली मेज़
जीवन की धुरी हो गई
भोर हो गई,,
कागज़ पर टिप-टिप,
अँगुलियाँ नाचती, अक्षर बुनती
आँखॊं के आगे नीला स्क्रीन,
और समय का धागा उधड़े
मन के, घर के फँदे बुनते-बुनते
ऊन उम्र की खत्म हो गई...
भोर हो गई..........

----------------------------------------





भोर हो गई

..............................................

भोर हो गई

पग-पग बढ़ते-चढ़ते पथ पर

भीड़ हो गई,

कूका कहीं क्या काला कव्वा?

शीत पवन में पंख जम गये

बानी-बोली सभी खो गई

भोर हो गई ॥

आँखॊं के आगे

बस टिक-टिक घड़ी नाचती

ऊपर से नीचे से ऊपर

चीज़ें लिये संभाले, वह भागती

चेहरे का व्याकरण

कार का शीशा देखेगा

और पेट की भूख

दफ्तर जाने पर देखी जायेगी

यही सोचते करते एक उम्र हो गई,

भोर हो गई।

सूरज का आना या जाना

बस टी.वी. से जाना,

जीवन की आशा पर बिखरे

सर्दी का यह नीम अँधेरा

जाना-पहचाना,

एक घनी बिल्डिंग की बस्ती

कोने वाली मेज़

जीवन की धुरी हो गई

भोर हो गई,,

कागज़ पर टिप-टिप,

अँगुलियाँ नाचती, अक्षर बुनती

आँखॊं के आगे नीला स्क्रीन,

और समय का धागा उधड़े

मन के, घर के फँदे बुनते-बुनते

ऊन उम्र की खत्म हो गई...

भोर हो गई..........

----------------------------------------